Course Type | Course Code | No. Of Credits |
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Foundation Core | NA | 6 |
Semester
Course Details:
Summary:
यह पाठ्यक्रम आधुनिक हिंदी कहानियों पर केंद्रित रहेगा जिसमें स्वतंत्रता से पूर्व तथा स्वतंत्रता के बाद की कहानियों के बारे में अध्यापन किया जाएगा। जिसे आज हम कहानी के नाम से जानते हैं, वह आख्यायिका, गल्प और कथा आदि नामों से सदियों से हमारी परंपरा का अंग रही है। हिंदी में आधुनिक कहानियों का लेखन नई पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन, शिक्षा के प्रसार, पाठकों की संख्या में वृद्धि तथा शहरी समाज के क्षैतिज विस्तार जैसे कारणों से बीसवीं सदी में तेजी से होने लगा था। इस दौर में कहानियां केवल संख्या में ही अधिक नहीं रची जा रही थीं बल्कि उनके माध्यम से नए किस्म की मूल्य-चेतना तथा नवीन दृष्टियां सामने आ रही थीं। भारत जैसे औपनिवेशिकता के शिकार देश में विभिन्न सामाजिक वर्गों की कई पांरपरिक दिक्कतें तो रही ही हैं, साथ ही औपनिवेशिक कालखंड में नए अवसरों का लाभ ही नहीं मिला बल्कि नई समस्याओं का भी उन्हें सामना करना पड़ा है। खासतौर पर निम्नमध्य वर्ग तथा किसानों की समस्याएं। समाज के कमजोर व उपेक्षित वर्गों को भारतीय राष्ट्र में अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए जो संघर्ष करना पड़ रहा था, हिंदी कहानियां उन संघर्षों को रचनात्मक शैली में व्यक्त कर रही थीं। लोकतांत्रिक चेतना, मानवतावाद तथा समाजवादी आंदोलनों के प्रसार से जिस नई सामाजिक संवेदनशीलता का व्यापक प्रचार हो रहा था, उनसे भी कहानियां अभिन्न रूप से जुड़ी हुई थीं। आधुनिक जीवन की व्यक्तिवादिता तथा उपयोगितावाद की पहचान कराने में भी यही कथाएं समर्थ हैं। इस पाठ्यक्रम में विभिन्न कालखंडों, वर्गीय दशाओं, विचार-दृष्टियों और सामाजिक उद्देश्यों से प्रेरित ग्यारह कहानियां हैं जिनके पठन-पाठन से हिंदी कहानियों की विविधतापूर्ण दुनिया से परिचय प्राप्त हो सकेगा। कहानियां का यह पाठ्यक्रम कहानियों के सघन पाठ के माध्यम से भारतीय समाज-राष्ट्र के उन्नत और अंधकारपूर्ण पक्षों का वस्तुगत विवेचन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
Objectives:
इस कोर्स में हिंदी कहानियों की विविध प्रवृत्तियों के बारे में अध्यापन किया जाएगा। विद्यार्थी पाठकेंद्रित विश्लेषण के माध्यम से पाठ की स्वायत्तता के साथ-साथ साहित्य और समाज के जटिल संबंधों के बारे में सचेत हो सकेंगे। विभिन्न वर्गों-समुदायों, स्त्री-पुरुष तथा पीढ़ियों के परस्पर संबंध और परिवेश-संस्कृति में घटित हो रहे परिवर्तनों का जो भी दस्तावेजीकरण हिंदी कहानियों के रूप में हुआ है, उसे सामने रखकर बीसवीं सदी के भारतीय समाज की विशेषताओं और अंतर्विरोधों की पहचान की जा सकेगी। समाज के हाशिए के वर्गों-जातियों के प्रति साहित्य में निहित मानवीय संवेदनशीलता के राजनीतिक-सामाजिक महत्त्व के बारे में अवगत कराया जा सकेगा। यह कोर्स कहानियों के माध्यम से हिंदी में गद्य की शक्ति के नए उभार को भी दिखाएगा जिसने हिंदी गद्य के मानकीकरण को न केवल रचनात्मक स्तर पर संभव बनाया बल्कि इसने हिंदी भाषा की समृद्ध शब्द-संपदा व देसी मुहावरों को भी संरक्षित करते हुए उसे आम पाठकों तक पहुंचाया। विभिन्न संस्कृतियों और शहरी-कस्बाई तथा ग्रामीण जनजीवन के विभिन्न भाषारूपों को कहानी के माध्यम से विद्यार्थी आत्मसात कर सकेगा। वह कथाओं में वर्णित घरेलू-निजी त्रासदियों व जीवनशैलियों से परिचित होकर अपने मनोवैज्ञानिक दायरों का विस्तार कर सकेगा। शरद सिंह
Expected learning outcomes:
Overall structure (course organisation, rationale of organisation; outline of each module):
माड्यूल-1
आधुनिक हिंदी कहानी का इतिहास औपचारिक रूप से वर्ष 1900 के आसपास से आरंभ होता है, हालांकि फोर्ट विलियम कालेज, शिवप्रसाद सितारे हिंद के लेखन तथा भारतेंदु युग में कहानी के विभिन्न आरंभिक रूपों की झलक मिलने लगी थी। इसके पूर्व भारत में कथा और आख्यायिकाओं की परंपरा संस्कृत से लेकर हिंदी में प्रेमाख्यानों तक लगातार बनी रही। आधुनिक कहानी के इतिहास का संबंध एक ऐसी मूल्य दृष्टि के विकास से रहा है जिसमें चरित्रों को कलात्मक रूप से हाड़-मांस के स्वाभाविक मनुष्य की तरह प्रस्तुत किया जा सके और कहानी का शिल्प इस प्रकार से स्थिर हो जाए ताकि उसमें नए जमाने की अंतर्वस्तु का निर्वाह हो सके। इस माड्यूल में हिंदी कहानी के विकास की विभिन्न ऐतिहासिक चेष्टाओं, जद्दोजहद और सफल-विफल प्रयोगों के बारे में विद्यार्थियों को परिचित कराया जाएगा। वे आधुनिक हिंदी कहानी के संक्षिप्त परिचयात्मक इतिहास के माध्यम से कहानी की विकास प्रक्रिया को समझेंगे। इससे उन्हें पाठ्यक्रम में सम्मिलित हिंदी कथाओं के ऐतिहासिक संदर्भों की रोशनी में उनके साहित्यिक-सामाजिक महत्त्व का ज्ञान हासिल करने में आसानी होगी।
हिंदी कहानी का इतिहास और विकास
संदर्भ पुस्तकें
माड्यूल-2
इस माड्यूल में कुछ हिंदी कहानियों को रखा गया है, खासकर स्वतंत्रता से पूर्व रचित कथाओं को। यह वह कालखंड है जब सामंती भावबोध व उससे जुड़े सामाजिक संबंध ढीले प़डे और पूंजीवादी चेतना का विकास आरंभ होने लगा। एक आदर्शवादी भावधारा भी इसी समय साहित्य में प्रवाहित हो रही थी और भाव व शिल्प की रूढ़ियां चटकने लगी थीं। इस युग की कहानियां प्रेमविषयक, गरीबी-अभाव विषयक तथा घरेलू समस्याओं पर आधारित हैं। स्वतंत्रता के पूर्व की इन कथाओं में औपनिवेशिकता, सामंती समाज की विषम परिस्थितियां, आदर्शवाद तथा व्यक्तिगत आकांक्षाएं आदि व्यक्त होते रहे हैं। माड्यूल में शामिल की गई इन कहानियों का विशद पाठमूलक विश्लेषण न केवल कथा की ‘आंतरिक निर्मित तथा भाषा विन्यास’ को उजागर करेगा, बल्कि साहित्य में प्रेम-रोमांस व यथार्थ को व्यक्त करते हुए साहित्य-समाज के उद्विकासीय एवं अंतर्विरोधपूर्ण संबंधों को भी चिन्हित करता चलेगा।
प्रेम-रोमांस और यथार्थ
संदर्भ पुस्तकें
माड्यूल- 3
हिंदी की विभिन्न कथाएं विभाजन के यथार्थ, लोकजीवन तथा मध्यवर्ग-निम्नमध्यवर्गीय जीवन के तनावों को व्यंजित करने वाली रही हैं। उपेक्षा, महत्त्वाकांक्षा और अपेक्षा के एक जटिल मनोभावों से भरे संसार में व्यक्ति की हैसियत गौण हो जाती थी। पारिवार के भीतर उसके अस्तित्व के प्रश्न बाहर के बड़े बदलावों से प्रभावित हो जाते थे। इस यथार्थ के मध्य हिंदी की विभिन्न कथाओं ने हाशिए के जीवन तथा उससे जुड़े बेरोजगारी, पारिवारिक घुटन व आत्मसम्मान के सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक सवालों को कथा के किरदारों के माध्यम से उठाया है और पाठकों के अनुभव-जगत को समृद्ध किया है। इस माड्यूल में ऐसी कथाओं का पाठ आधारित अध्यापन होगा जिन्होंने आजादी के साथ जन्म लेने वाली सामाजिक-धार्मिक कटुताओं, मोहभंगों, मध्यवित्त वर्ग की तकलीफों और उम्मीदों का भावपूर्ण चित्रण सशक्त शिल्प के माध्यम से किया है।
विभाजन और हाशिए का जीवन
संदर्भ पुस्तकें
माड्यूल - 4
इस माड्यूल में हिंदी की प्रमुख प्रतिनिधि कथाएं, जो स्वातंत्र्योत्तर भारत में लिखी गईं, उनका पाठ आधारित अध्यापन किया जाएगा। ये कथाएं रोमांटिक भावबोध, अकेलेपन, हताशा, जीवन में निरर्थकता, स्त्री की स्वाधीनता जैसे विविध विषयों पर केंद्रित रही हैं और इन्होंने मध्यवर्गीय परिवारों में आते परिवर्तनों को दर्ज किया है। कथाओं के माध्यम से जो मध्यवर्ग साहित्य के केंद्र में आया, वह नवीन आशाओं के बीच स्वाधीनता के बाद की परिस्थितियों में सामाजिक वैषम्य, रूढ़िग्रस्तता, अनिश्चितता आदि का शिकार हुआ। खासतौर पर स्त्रियों का अवचेतन इन कथाओं में अत्यंत संवेदनशीलता से व्यक्त हुआ है। कथाकारों ने जाने-पहचाने परिवेश के साथ-साथ अपेक्षाकृत अनजान किस्म के कथात्मक परिवेश के माध्यम से भी उनकी स्थितियों का चित्रण किया है।
स्त्री जीवन और आधुनिक भावबोध
संदर्भ पुस्तकें
सहायक पुस्तकें
Contents (week wise plan with readings):
Week | Plan/ Theme/ Topic | Objectives | Core Reading (with no. of pages) | Additional Suggested Readings | Assessment (weights, modes, scheduling) |
1 | भारतमेंकथालेखनकीपरंपराऔरविकास | विरासतकीजानकारी | भारतीयकथापरंपरा (आलेख) राधावल्लभत्रिपाठी, हिंदीसाहित्यकाइतिहास- रामचंद्रशुक्ल | ------ | ----- |
2 | आधुनिककहानीकासंक्षिप्तइतिहासऔरविकास | विरासतकीजानकारी | हिंदीकहानीकाविकास- मधुरेश
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3 | ‘उसनेकहाथा’ नामककहानीकापाठगतअध्ययन | आधुनिककथाकापरिचय | गुलेरीःकथाकहानीसमग्र- सुधाकरपांडे | ----------- | 30 percent (after 3 week)- Home Assignment- 1 |
4 | ‘आकाशद्वीप’और‘पूसकीरात’नामककहानियोंकापाठगतअध्ययन | आधुनिककथाकापरिचय | कहानियोंकामूलपाठ | ------------- |
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5 | ‘पाजेब’ और‘अमृतसरआगयाहै’ नामककहानीकाअध्ययन | आधुनिककथाकापरिचय | कहानियोंकामूलपाठ | ----------- |
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6 | ‘तीसरीकसम’नामककहानीकाअध्ययन | आधुनिककथाकापरिचय | कहानियोंकामूलपाठ | ------------- | --20 percent after 3 week – Home Assignment -2 |
7 | ‘दोपहरकाभोजन’और‘पिता’नामककहानीकाअध्ययन | आधुनिककथाकापरिचय | कहानियोंकामूलपाठ | ------------- | ----------- |
8 | ‘परिंदे’नामककहानीकाअध्ययन | आधुनिककथाकापरिचय | पाठ्यक्रमकीकहानियां | -------------- |
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9 | ‘मिसपाल’नामककहानीकाअध्ययन | आधुनिककथाकापरिचय | कहानियोंकामूलपाठ | ----------- | 20 percent after 3 week- Mid Sem -3 |
10 | ‘बादलोंकेघेरे’नामककहानीकाअध्ययन | आधुनिककथाकापरिचय | कहानियोंकामूलपाठ | ------------ | ---------------- |
11 | सभीकहानियोंकापुनरावलोकनवउनपरविमर्श | आधुनिककथाकापरिचय | राजेंद्रयादव- एकदुनियासमानांतर, नामवरसिंह- कहानी-नईकहानी | ----------- | ------------- |
12 | सभीकहानियोंकापुनरावलोकनवउनपरविमर्श | आधुनिककथाकापरिचय | राजेंद्रयादव- एकदुनियासमानांतर, नामवरसिंह- कहानी-नईकहानी | ------------- | 30 per cent (after 3 week)- End Sem Assesment-4 |
Pedagogy: